रोहिंग्या संकट . . . अब तक का सबसे बडा मानवीय संकट ! – विश्व स्वास्थ्य संघटन की दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल
नई देहली : अगले एक वर्ष में रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों में ६०,००० बच्चों के जन्म लेने का अनुमान है ! इन बच्चों के जन्म लेने के बाद संकट झेल रहे इस समुदाय की स्थिति और विकट हो सकती है !
विश्व स्वास्थ्य संघटन (WHO) की दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल ने छह महीने पहले शुरू हुए रोहिंग्या संकट को अब तक का सबसे बडा मानवीय संकट बताते हुए कहा कि आगामी मानसून सीजन में इन शरणार्थियों की दिक्कतें और बढनेवाली हैं ! अकेले बांग्लादेश में लगभग १० लाख रोहिंग्या शरणार्थी पनाह लिए हुए हैं, जो कुपोषण के साथ-साथ मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं जिनमें सर्वाधिक दयनीय स्थिति बच्चों की है !
संकट अब अपने चरम पर
डॉ. पूनम ने कहा, “२५ अगस्त, २०१७ से शुरू हुआ यह संकट अब अपने चरम पर पहुंच गया है । म्यांमार से बांग्लादेश बडी तादाद में पहुंचे रोहिंग्याओं की हालत रोंगटे खडे कर देनेवाली है ! बांग्लादेश के कॉक्स बाजार के शरणार्थी शिविरों में ६,८८,००० रोहिंग्या रह रहे हैं, जबकि इससे पहले यहां २,१२,५०० रोहिंग्या बांग्लादेश पहुंच चुके हैं । इस अल्पावधि में पलायन करनेवाली यह अब तक की सबसे बडी जनसंख्या है !”
सबसे बडा खतरा स्वास्थ्य को लेकर
शरणार्थी शिविरों में रोहिंग्या मुसलमानों की स्थिति और समस्याओं के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, “रोहिंग्या शरणार्थियों की सबसे बडी आबादी काटुपालोंग और बालुखली शिविरों में दयनीय हालत में रह रही है, परंतु सबसे बडा खतरा इनके स्वास्थ्य को लेकर है, इसलिए इनके स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करने की जरूरत है । महिलाओं और कम उम्र की मांओं को प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने की जरूरत है !”
बारिश का मौसम बनेगा बडा संकट
पूनम कहती हैं, “हालात इतने बदतर हैं कि ये पानी और स्वच्छता जैसी मूलभूत सेवाओं से वंचित हैं, परंतु हमें चिंता है मानसून सीजन को लेकर ! बारिश का मौसम इनके लिए बडा संकट बन सकता है । बारिश, तूफान, बाढ के खतरे से इन लोगों में हैजा, हेपेटाइटिस, मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का खतरा बढेगा । वहीं, इन शरणार्थी शिविरों में अगले एक साल में ६०,००० बच्चों के पैदा होने का अनुमान है । समझ जाइए, स्थिति क्या होने जा रही है !”
जरूरी सेवाएं मुहैया कराने के लिए प्रयासरत
ऐसे में डब्ल्यूएचओ की रणनीति क्या है ? यह पूछने पर में डॉ. खेत्रपाल कहती हैं, “डब्ल्यूएचओ बांग्लादेश के स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर कॉक्स बाजार में रोहिंग्या मुसलमानों की इस बडी आबादी को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करा रही हैं । डब्ल्यूएचओ चिकित्सा केंद्रों में दवाइयां, मेडिकल उपकरण जैसी सेवाएं मुहैया कराने में लगा है !”
डॉ. ने कहा, “यहां १०० से अधिक साझेदारों के साथ मिलकर हेल्थ पोस्ट, अस्पताल, चिकित्सा केंद्रों और मोबाइल क्लीनिकों तक पहुंच बनाई जा रही है । शरणार्थियों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है । ये समुदाय ट्रॉमा, दिल संबंधी बीमारियों, मधुमेह और कई तरह की बीमारियों की चपेट में है !”
टीकाकरण कार्यक्रम शुरू
डब्ल्यूएचओ ने कई तरह के टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिनके बारे में डॉ. खेत्रपाल कहती हैं, “हमने हैजे को लेकर अक्टूबर और नवंबर २०१७ में दो चरणों में व्यापक अभियान शुरू किया, जिसके तहत हैजा की ९००,००० खुराकें पिलाई गईं । इसके साथ ही सितंबर और नवंबर में खसरे और रूबेला टीकाकरण का अभियान शुरू हुआ, जिसमें १५ साल तक की उम्र के ३,३५,००० बच्चों का टीकाकरण किया गया । इसके साथ ही पोलियो और न्यूमोनियो के टीके लगाए गए । डिप्थीरिया के भी दो टीकाकरण अभियान शुरू किए गए । पहले दौर के तहत लगभग ५००,००० बच्चों का टीकाकरण हुआ । दूसरे चरण के तहत लगभग ३,९८,००० बच्चों का टीकाकरण किया गया । मार्च में डिप्थीरिया के टीकाकरण का तीसरा दौर शुरू करने की योजना है !”
बच्चों की मानसिक स्थिति चिंताजनक
डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक कहती हैं, “इन शरणार्थी बच्चों की मानसिक स्थिति चिंताजनक है । इस संकट का इन पर बुरा असर पडा है । हम स्वास्थ्य मंत्रालय और आपदा प्रबंधन मंत्रालय के साथ मिलकर रोहिंग्या शिविरों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करा रहे हैं । प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए स्वास्थ्य योजनाओं का खाका तैयार हो रहा है । दूषित पानी की जांच के लिए लैब की स्थापना की गई है । ट्यूबवेल एवं घरेलू कंटेनरों में जल की गुणवत्ता की जांच के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है । डब्ल्यूएचओ ने किसी भी तरह की बीमारी का पता लगाने के लिए अर्ली वार्निग एंड रिस्पांस प्रणाली स्थापित की है !”
डॉ. पूनम खेत्रपाल ने कहा, “हम काम कर रहे हैं, परंतु बेहतर होगा कि शरणार्थियों के भविष्य पर गंभीरता से फैसला लिया जाए !”
स्त्रोत : ईनाडू इंडिया