Sunday, August 12, 2018

रोहिंग्‍या यहां बस गए तो १० कश्‍मीर और तैयार हो जाएंगे – रामदेव बाबा


देश में एनआरसी को लेकर कुछ लाेग इसे राष्ट्र हित में बता रहे हैं तो कुछ इसे वोट की राजनीति बता रहे हैं। इस बीच योगगुरु बाबा रामदेव ने हरियाणा के रोहतक में कहा कि, “३ से ४ करोड लोग भारत में अवैध तरीके से रहते हैं। इनमें रोहिंग्या उपर से और आ गए, जिनको गलत तरीके से ट्रेनिंग दी गई है। वो यहां पर बस गए तो १० कश्मीर और तैयार हो जाएंगे।” बाबा रामदेव ने असम में एनआरसी को देश में अवैध रूप से रह रहे लोगों की संख्या नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, “चाहे वह बांग्लादेशी हो या पाकिस्तानी हो, रोहिंग्या हो या अमेरिकी, सभी अवैध घुसपैठियों को देश से बाहर किया जाना चाहिए। सभी अवैध घुसपैठियों ने भारत की सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न किया है। कश्मीर की समस्या अभी तक सुलझी नहीं है। यदि यहां रोहिंग्याओं को बसने दिया गया तो १० और कश्मीर जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाएगी।”
रोहतक में मीडिया से बात करते हुए बाबा रामदेव ने आरक्षण पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि आरक्षण की व्यवस्था में बदलाव होना चाहिए। दलितों और पिछडे वर्ग के समर्थ लोगों को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए। इसमें क्रीमी लेयर को परिभाषित किया जाना चाहिए। जब तक गरीबी दूर नहीं होगा, आरक्षण की आग नहीं बुझेगी।
स्त्राेत : जनसत्ता

Saturday, August 11, 2018

जम्मू में बांग्लादेश का आतंकी नेटवर्क सक्रिय, रोहिंग्याओं की झुग्गियों से २९ लाख रुपये बरामद


रोहिंग्या की झुग्गियों से २९ लाख रुपये बरामद करने के बाद पुलिस को जांच के लिए अगली कडी मिलना मुश्किल हो गई है ! पकडे गए रोहिंग्याओं ने बताया कि उन्हें २ बांग्लादेशियों ने बैग दिए थे। इनमें क्या था, यह उन्हें नहीं पता और अब उनके फोन भी बंद हैं !
रोहिग्याओं से २९ लाख रुपये बरामद किए जाने के बाद संभावना जताई जा रही है कि बांग्लादेश का आतंकी नेटवर्क भी जम्मू कश्मीर के आतंकियों को फंडिंग करने के लिए सक्रिय हो गया है। जो जम्मू कश्मीर के आतंकियों को फंडिंग कर रहा है। मादक पदार्थ, टेरर फंडिंग और आतंकी संगठनों के अचानक सक्रिय होने के कारण सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही सक्रिय हैं !
स्वतंत्रता दिवस से पहले आतंकी संगठन किसी बडी वारदात की फिराक में हैं। इसकी सूचना भी सुरक्षा एजेंसियों के पास है। सीमा पार से अलकायदा समर्थित अंसार गजवत उल हिंद के जाकिर मूसा का आतंकी नेटवर्क, हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तोयबा आतंकी संगठन पूरी तरह से राज्य में सक्रिय हो गए हैं !
रोहिंग्याओं से पकडे गए रुपयों को भी इसी कडी का हिस्सा माना जा रहा है। कई रोहिंग्याओं की बस्तियां भी जम्मू कश्मीर में बस चुकी हैं। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी जम्मू कश्मीर में रोहिंग्या को देश की सुरक्षा के लिए सबसे बडी चुनौती मान रहे हैं। पुलिस के अनुसार यह भी संभावना जताई जा रही है कि मादक पदार्थों की तस्करी से भी इस रुपयों को लाया गया। फिलहाल पुलिस इस मामले में दोनों आरोपियों से पूछताछ कर रही है और जल्द ही कोई बडा खुलासा होने की उम्मीद है !
स्त्रोत : अमर उजाला

Monday, August 6, 2018

असम व बंगाल की तरह बिहार के सीमांचल में भी हैं बांग्लादेशी घुसपैठिए : गिरिराज सिंह


केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शनिवार को एनआरसी मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला करते हुए कहा कि बंगाल और असम के साथ-साथ बिहार के सीमांचल इलाकों में भी बांग्लादेशी घुसपैठिए मौजूद हैं ! कटिहार दौर पर पहुंचे सिंह ने उक्त बयान भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिरकत करने के दौरान दिया।
फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह भाजयुमो के प्रशिक्षण के दौरान युवा कार्यकर्ताओं को जोश भरने के बाद मीडिया से मुखातिब हुए और एनआरसी जैसे कई मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी। उन्होंने पाकिस्तान में इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने पर भारत के साथ रिश्तों पर पूछे गए एक सवाल पर कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्ते मधुर होने की उम्मीद है, अगर नहीं हुए तो भाजपा ‘टिट फॉर टैट की नीति पर कायम है !
वहीं, बढ़ती आबादी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कड़े कानून लाकर दो बच्चे से अधिक पैदा करनेवाले लोगों को मताधिकार के साथ-साथ अन्य तमाम अधिकारों को छीनने की भी मांग की है !
स्त्रोत : न्यूज 18

Saturday, August 4, 2018

एनआरसी विवाद : छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहां, ‘भारत धर्मशाला नहीं है !’


रायपुर : छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि, असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे को प्रचारित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि भारत एक ‘धर्मशाला’ नहीं है जहां विदेशी घुसपैठ करेंगे।
रमन सिंह ने दुर्ग जिले में पत्रकारों से कहा,‘‘इस मुद्दे को उछाले जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। क्या यह देश कोई धर्मशाला है जहां विदेशी घुसपैठ करते रहेंगे ?’’ उन्होंने कहा,‘‘कोई भी यहां आता है और रहना शुरू कर देता है। उन्हें बाहर किया जाना चाहिए और इस उद्देश्य के लिए इस तरह के लोगों को (असम में) चिन्हित किया गया है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘इन ४० लाख लोगों को (जिन्हें एनआरसी से बाहर रखा गया है) जो बाहर से आये है, उन्हें या तो अपनी राष्ट्रीयता साबित करनी चाहिए या फिर वहीं चले जाना चाहिए जहां से वे आये हैं।’’
स्त्रोत : एबीपी न्युज

Friday, August 3, 2018

असम एनआरसी : तस्लीमा ने ममता से पूछा, ‘मुझे जब बंगाल से बाहर किया गया तब आप कहां थी ?

नई देहली : असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर सडक से लेकर संसद तक हंगामा बरपा है ! सत्तापक्ष जिन ४० लाख लोगों का नाम एनआरसी में नहीं है उन्हें नागरिकता साबित करने के लिए मौका देने की बात कही है। वहीं विपक्ष का कहना है कि, सरकार का इरादा ठीक नहीं है, अपने ही घर में इतने लोगों को बेघर किया जा रहा है। इस बीच बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा है कि घुसपैठिए अवैध नहीं होते हैं।
तस्लीमा ने राजनेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, ”भारत में काफी मुस्लिम हैं। भारत को पडोसी देशों से और मुस्लिमों की आवश्यकता नहीं है। परंतु समस्या यह है कि भारतीय राजनेताओं को इनकी आवश्यकता है !”
भारत में निर्वासित तस्लीमा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कठघरे में खडा करते हुए कहा, ”यह देखकर अच्‍छा लगा कि ममता जी ४० लाख बांग्‍ला बोलनेवालों के लिए इतनी ज्‍यादा सहानुभूति रखती हैं। उन्‍होंने यहां तक कह दिया है कि वह असम बाहर किए जानेवाले लोगों को वह शरण देंगी। उनकी यह सहानुभूति तब कहां थी जब उनकी विरोधी पार्टी ने मुझे पश्चिम बंगाल से बाहर कर दिया था ?”
तस्लीमा ने कहा, ”ममता जी के अंदर सभी बेघर बांग्‍ला बोलनेवालों के लिए के सहानुभूति नहीं है। यदि उनके अंदर होता तो उनके अंदर मेरे लिए भी होती और उन्‍होंने मुझे भी पश्चिम बंगाल में आने की अनुमति दी होती !”
आपको बता दें तस्लीमा किताबों को लेकर विवादों में रही हैं। मुस्लिम संगठनों ने बांग्लादेश में तस्लीमा का विरोध किया था। जिसके बाद वो भारत आ गई और पश्चिम बंगाल में शरण ली। परंतु साल २००७ में उनके लेखन को लेकर कोलकाता में हिंसक प्रदर्शन हुआ। तब की लेफ्ट सरकार ने उन्हें राज्य से बाहर जाने के लिए कहा। अब तस्लीमा ने इसी बहाने ममता बनर्जी पर निशाना साधा है !
स्त्रोत : एबीपी न्यूज

असम एनआरसी : तस्लीमा ने ममता से पूछा, ‘मुझे जब बंगाल से बाहर किया गया तब आप कहां थी ?


नई देहली : असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर सडक से लेकर संसद तक हंगामा बरपा है ! सत्तापक्ष जिन ४० लाख लोगों का नाम एनआरसी में नहीं है उन्हें नागरिकता साबित करने के लिए मौका देने की बात कही है। वहीं विपक्ष का कहना है कि, सरकार का इरादा ठीक नहीं है, अपने ही घर में इतने लोगों को बेघर किया जा रहा है। इस बीच बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा है कि घुसपैठिए अवैध नहीं होते हैं।
तस्लीमा ने राजनेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, ”भारत में काफी मुस्लिम हैं। भारत को पडोसी देशों से और मुस्लिमों की आवश्यकता नहीं है। परंतु समस्या यह है कि भारतीय राजनेताओं को इनकी आवश्यकता है !”
भारत में निर्वासित तस्लीमा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कठघरे में खडा करते हुए कहा, ”यह देखकर अच्‍छा लगा कि ममता जी ४० लाख बांग्‍ला बोलनेवालों के लिए इतनी ज्‍यादा सहानुभूति रखती हैं। उन्‍होंने यहां तक कह दिया है कि वह असम बाहर किए जानेवाले लोगों को वह शरण देंगी। उनकी यह सहानुभूति तब कहां थी जब उनकी विरोधी पार्टी ने मुझे पश्चिम बंगाल से बाहर कर दिया था ?”
तस्लीमा ने कहा, ”ममता जी के अंदर सभी बेघर बांग्‍ला बोलनेवालों के लिए के सहानुभूति नहीं है। यदि उनके अंदर होता तो उनके अंदर मेरे लिए भी होती और उन्‍होंने मुझे भी पश्चिम बंगाल में आने की अनुमति दी होती !”
आपको बता दें तस्लीमा किताबों को लेकर विवादों में रही हैं। मुस्लिम संगठनों ने बांग्लादेश में तस्लीमा का विरोध किया था। जिसके बाद वो भारत आ गई और पश्चिम बंगाल में शरण ली। परंतु साल २००७ में उनके लेखन को लेकर कोलकाता में हिंसक प्रदर्शन हुआ। तब की लेफ्ट सरकार ने उन्हें राज्य से बाहर जाने के लिए कहा। अब तस्लीमा ने इसी बहाने ममता बनर्जी पर निशाना साधा है !
स्त्रोत : एबीपी न्यूज

कौन हैं रोहिंग्या प्रवासी और भारत में क्यों हो रही है उनकी इतनी चर्चा . . .


सरकार ने लोकसभा में बताया कि भारत में रह रहे कुछ रोहिंग्या प्रवासी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल हैं ! साथ ही यह भी साफ किया कि रोहिंग्या को ‘शरणार्थी’ का दर्जा नहीं दिया गया है बल्कि वे ‘अवैध प्रवासी’ हैं !
आखिर कौन हैं ये रोहिंग्या प्रवासी ? ये भारत कैसे पहुंचे और यहां क्यों आए ? रोहिंग्या म्यांमार से भागकर बांग्लादेश क्यों जा रहे हैं ? इन्हें अब तक म्यांमार में नागरिकता क्यों नहीं मिली ? नोबेल विजेता आंग सान सू ची दुनिया भर में मानवाधिकारों के प्रति अपनी मुखर आवाज के लिए जानी जाती हैं। म्यांमार में अब उनकी पार्टी की ही सरकार है फिर भी वह रखाइन प्रांत में रोहिंग्या लोगों पर हो रहे जुल्म पर चुप क्यों हैं ? आइए जानते हैं इस बारे में सब कुछ . . .

रखाइन प्रांत का इतिहास

रखाइन म्यांमार के उत्तर-पश्चिमी छोर पर बांग्लादेश की सीमा पर बसा एक प्रांत है, जो ३६ हजार ७६२ वर्ग किलोमीटर में फैला है। सितवे इसकी राजधानी है। म्यांमार सरकार की २०१४ की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार रखाइन की कुल जनसंख्या लगभग २१ लाख है, जिसमें से २० लाख बौद्ध हैं। यहां लगभग २९ हजार मुसलमान रहते हैं।

रोहिंग्या कौन हैं ?

म्यांमार की बहुसंख्यक जनसंख्या बौद्ध है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य की लगभग १० लाख की जनसंख्या को जनगणना में शामिल नहीं किया गया था। रिपोर्ट में इस १० लाख की जनसंख्या को मूल रूप से इस्लाम धर्म को माननेवाला बताया गया है। जनगणना में शामिल नहीं की गई जनसंख्या को रोहिंग्या मुसलमान माना जाता है। इनके बारे में कहा जाता है कि वे मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं। सरकार ने उन्हें नागरिकता देने से इनकार कर दिया है। हालांकि वे पीढ़ियों से म्यांमार में रह रहे हैं।
रखाइन स्टेट में २०१२ से सांप्रदायिक हिंसा जारी है। इस हिंसा में बडी संख्या में लोगों की जानें गई हैं और एक लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। बडी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान आज भी जर्जर कैंपो में रह रहे हैं। रोहिंग्या मुसलमानों को व्यापक पैमाने पर भेदभाव और दुर्व्यवहार का सामना करना पडता है। लाखों की संख्या में बिना दस्तावेजवाले रोहिंग्या बांग्लादेश में रह रहे हैं। इन्होंने दशकों पहले म्यांमार छोड़ दिया था।

रखाइन प्रांत से क्यों भागे रोहिंग्या ?

म्यांमार में मौंगडोव सीमा पर २५ अगस्त २०१७ को रोहिंग्या चरमपंथियों ने उत्तरी रखाइन में पुलिस नाके पर हमला कर १२ सुरक्षाकर्मियों को मार दिया था। इस हमले के बाद सुरक्षा बलों ने मौंगडोव जिला की सीमा को पूरी तरह से बंद कर दिया और बड़े पैमाने पर ऑपरेशन शुरू किया और तब से म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमानों का पलायन जारी है !
आरोप है कि सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों को वहां से खदेड़ने के मकसद से उनके गांव जला दिए और नागरिकों पर हमले किए। इस हिंसा के बाद से अब तक लगभग चार लाख रोहिंग्या शरणार्थी सीमा पार करके बांग्लादेश में शरण ले चुके हैं। म्यामांर के सैनिकों पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के संगीन आरोप भी लगे। सैनिकों पर प्रताड़ना, बलात्कार और हत्या जैसे आरोप हैं। हालांकि सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था।

बांग्लादेश ने विरोध जताया

बांग्लादेश ने रोहिंग्या लोगों के अपने देश में घुसने पर कडी आपत्ति जताई और कहा कि परेशान लोग सीमा पार कर सुरक्षित ठिकाने की तलाश में यहां आ रहे हैं। बांग्लादेश ने कहा कि सीमा पर अनुशासन का पालन होना चाहिए। बांग्लादेश अथॉरिटी की तरफ से सीमा पार करनेवालों को फिर से म्यांमार वापस भेजा गया।
लेकिन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बांग्लादेश के इस कदम की कडी निंदा की और कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है। बांग्लादेश रोहिंग्या मुसलमानों को शरणार्थी के रूप में स्वीकार नहीं करता। रोहिंग्या और शरण चाहनेवाले लोग १९७० के दशक से ही म्यांमार से बांग्लादेश आ रहे हैं !

आखिर नोबेल विजेता आंग सान सू ची ने क्यों साधी चुप्पी ?

म्यांमार में २५ सालों के बाद २०१६ में चुनाव हुआ था। इस चुनाव में नोबेल विजेता आंग सान सू ची की पार्टी नेशनल लीग फोर डेमोक्रेसी को भारी जीत मिली थी। संवैधानिक नियमों के कारण वह चुनाव जीतने के बाद भी राष्ट्रपति नहीं बन पाई थीं। सू ची स्टेट काउंसलर की भूमिका में हैं। माना जाता है कि सत्ता की वास्तविक कमान सू ची के हाथों में ही है। हालांकि देश की सुरक्षा सेना के हाथों में है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकार से सवाल पूछा जा रहा है कि रखाइन प्रांत में पत्रकारों को क्यों नहीं जाने दिया जाता। इस पर म्यांमार का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी गलत रिपोर्टिंग की जाती है। यदि सू ची अंतराष्ट्रीय दवाब में झुकती हैं और रखाइन स्टेट को लेकर कोई विश्वसनीय जांच कराती हैं तो उन्हें सेना से टकराव का जोखिम उठाना पड़ सकता है। उनकी सरकार खतरे में आ सकती है।
आंग सान सू ची पर जब इस मामले में दबाव पड़ा तो उन्होंने कहा था कि रखाइन स्टेट में जो भी हो रहा है वह ‘रूल ऑफ लॉ’ के तहत है। इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आवाज उठ रही है। म्यांमार में रोहिंग्या के प्रति सहानुभूति न के बराबर है। रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ सेना की कार्रवाई का म्यांमार में लोगों ने जमकर समर्थन किया है !

संयुक्त राष्ट्र ने स्थिति पर चिंता जताई है

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने कहा है कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमान ‘मानवीय आपदा’ का सामना कर रहे हैं। गुटेरेश ने कहा कि रोहिंग्या ग्रामीणों के घरों पर सुरक्षा बलों के कथित हमलों को किसी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने म्यांमार से सैन्य कार्रवाई रोकने की भी अपील की थी।
वहीं म्यांमार की सेना ने आम लोगों को निशाना बनाने के आरोप से इनकार करते हुए कहा कि वह चरमपंथियों से लड़ रही है।
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी का कहना है कि बांग्लादेश में अस्थायी शिविरों में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को मिल रही मदद नाकाफी है !
स्त्रोत : अमर उजाला

Wednesday, August 1, 2018

रोहिंग्याओं की घुसपैठ रोकने के लिए तैनात किए गए बीएसएफ, असम राइफल्स के जवान – गृहमंत्री राजनाथ सिंह


नई देहली : संसद के मानसून सत्र के दौरान मंगलवार को रोहिंग्‍या शरणार्थियों का मुद्दा उठाया गया। लोकसभा में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रोहिंग्या को लेकर राज्यों के लिए एडवाइजरी जारी की है। राजनाथ सिंह ने कहा कि राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वे राज्य में रोहिंग्याओं की संख्या आदि के बारे में वे गृह मंत्रालय को इसकी सूचना दें। गृह मंत्रालय ये जानकारी विदेश मंत्रालय को देगा। विदेश मंत्रालय म्यांमार के साथ इनको डिपोर्ट करने पर बातचीत करेगा।

रोहिंग्या के घुसपैठ को रोकने के लिए बीएसएफ और असम राइफल्स तैनात

लोकसभा में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि रोहिंग्या के घुसपैठ को रोकने के लिए बीएसएफ और असम राइफल्स के जवान तैनात किए गए हैं। कोशिश की जा रही है कि भारत में अब और रोहिंग्या घुसपैठ न कर पाएं। भारत में भी ४०,००० रोहिंग्या हैं !

भारत शरणार्थियों को भगाने में यकीन नहीं रखता

सासंद जुगल किशोर शर्मा ने पूछा कि जम्मू से रोहिंग्या कब बाहर होंगे ? इसका जवाब किरन रिजिजू ने दिया। उन्‍होंने कहा, ‘रोहिंग्या भारत की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। सबसे ज्यादा रोहिंग्या जम्मू-कश्मीर में है। इनको सुरक्षित म्यांमार भेजने के लिए प्रयास सरकार कर रही है। राज्य सरकारों के साथ इसपर बातचीत जारी है। भारत शरणार्थियों को भगाने में यकीन नहीं रखता, लेकिन एक रेग्युलेटरी जारी करने में क्या बुराई है। हम विदेश मंत्रालय के माध्यम से रोहिंग्या को सुरक्षित रुप से म्यांमार भेजने के लिए काम कर रहे हैं लेकिन विपक्ष इसका विरोध कर रहा है। हम पहले अपने देश की सुरक्षा चाहते हैं।

भारत में भी ४०,००० रोहिंग्या

लोकसभा में टीएमसी सांसद सुगत बोस ने सवाल किया कि विदेश मंत्रालय बांग्लादेश में रोहिंग्या के लिए ऑपरेशन इंसानियत चला रहे हैं। भारत में भी ४०,००० रोहिंग्या हैं, तो क्या हम इंसानियत सिर्फ उन्हीं के लिए दिखाएंगे जो बांग्लादेश में हैं ? इस पर किरन रिजजू ने कहा कि देश के सभी हिस्सों में अलग-अलग जगहों पर प्रवासी है जिनको नागरिकता एक्ट के प्रावधानों के तहत देखा जाता है और नागरिकता देना या न देना इस एक्ट के प्रावधानो पर निर्भर है !
स्त्रोत : जागरण