Saturday, March 24, 2018

मणिपुर से तीन रोहिंग्या गिरफ्तार, म्यांमार के रास्ते मलेशिया जाने की थी योजना


मणिपुर में सुरक्षाबलों ने तीन रोहिंग्या मुसलमानों को गिरफ्तार किया है । इन तीनों को म्याांमार सीमा से भारत में गैरकानूनी रूप से प्रवेश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है । इसकी जानकारी मणिपुर ने शुक्रवार को दी ।

रखाइन के रहने वाले हैं तीनो रोहिंग्या

पुलिस ने बताया कि, अपराध जांच  विभाग (सीआइडी) अधिकारियों और पुलिस की संयुक्त टीम मोरेह कस्बे से रोहिंग्या मुसलमान को गुरुवार देर रात गिरफ्तार किया गया था । भारत-म्यांमार सीमा पर तेगनौपाल जिले में यह कस्बा है । तीनों रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन प्रांत के रहने वाले हैं । म्यांमार का सुरक्षाबल आतंकियों के विरुद्ध रखाइन में लगातार कार्रवाई कर रहा है ।

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मलेशिया जाने की थी योजना

गिरफ्तार किए गए तीनों रोहिंग्या पिछले दस दिनों से मोरेह में रुके हुए थे । ये सभी मलेशिया जाने की फिराक में थे । परंतु तीनों को मणिपुर पुलिस ने गिरफ्तार कर मोरेह थाने में इनके विरुद्ध मामला दर्ज कराया है ।

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स्त्रोत : पंजाब केसरी

Sunday, March 18, 2018

कुरान में छिपाकर ड्रग्स की तस्करी कर रहे थे रोहिंग्या – तस्लीमा नसरीन


बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने एक चित्र शेयर कर बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों पर ड्रग्स की तस्करी का आरोप लगाया है । तस्लीमा नसरीन ने कहा है कि, इस सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है ।
तस्लीमा नसरीन ने ट्वीट किया, “बांग्लादेश में ३ रोहिंग्या गिरफ्तार किए गए हैं, इन लोगों ने अपने पवित्र कुरान का उपयोग याबा की तस्करी के लिए किया जिसे मैडनेस ड्रग भी कहा जाता है ।” तस्लीमा नसरीन ने गिरफ्तार किए लोगों की चित्रें शेयर की है । इस चित्र में तीन लोग दिख रहे हैं, उनके पीछे बांग्लादेश के ६ सुरक्षा बल खडे हैं । सामने एक टेबल पर ड्रग्स के पैकेट्स रख हुए हैं । बता दें कि म्यांमार से आए लगभग ६ लाख रोहिंग्या मुसलमान इस समय बांग्लादेश में रह रहे हैं । इन पर कई बार अवैध गतिविधियों में शामिल होने का भी आरोप लगता रहता है ।
बता दें कि समुद्री तट से सटे होने की वजह से बांग्लादेश में ड्रग्स की तस्करी बडे पैमाने पर होती है । बांग्लादेश के डिपार्टमेंट ऑफ नारकोटिक्स ने पिछले साल सितंबर में भी तीन रोहिंग्या मुसलमानों को गिरफ्तार किया था । पिछले कुछ सालों में बांग्लादेश में इसकी तस्करी में इजाफा हुआ है । बांग्लादेश की कानून एजेंसियों का मानना है कि लोग लचीले कानून का फायदा उठाकर इस मामले में गिरफ्तार होने के बावजूद बेल ले लेते हैं और फिर से इस अपराध की राह पर चल पडते हैं ।
स्त्रोत : जनसत्ता

Thursday, March 15, 2018

जम्मू-कश्मीर : अवैध सीमकार्ड के विषय में सत्य जानने गए २ हिन्दू पत्रकारों पर रोहिंग्याआें की भीड ने किया हमला


बठिंडी (जम्मू) – शहर के बठिंडी क्षेत्र में रोहिंग्याओं पर कवरेज के लिए गए कुछ पत्रकारों पर ५०-६० रोहिंग्या मुसलमानों की भीड ने हमला बोल दिया । विशेषत: इस भीड में महिलाआें का भी सहभाग था । इसमें पत्रकारों को पीटा गया और उनको तेजधार हथियार दिखाकर डराने का प्रयास भी किया गया । हमले में पत्रकार तेजिंदर सिंह, अजय जंडियाल आदि घायल हुए । पुलिस ने इसे लेकर केस दर्ज कर लिया है । इस प्रकरण में महंमद अश्रफ आैर शेर महंमद नाम के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है ।
मंगलवार सुबह पत्रकार तेजिंदर सिंह, अजय जंडियाल रोहिंग्याओं पर कुछ खबर करने के लिए गए थे । जिस प्लाट में रोहिंग्या रहते हैं, वहां के प्लाट मालिक दो युवकों ने पत्रकारों से पहले दुर्व्यवहार किया । फिर उनके साथ मारपीट की ।
जम्मू के आईजी एसडी सिंह जम्वाल का कहना है कि, पुलिस ने ३४१, ३२३, ३८२ और ३४ आरपीसी में केस दर्ज किया है ।
आरटीआय कार्यकर्ता रोहित चौधरी ने २७ विस्थापित रोहिंग्या मुसलमानों के पास मिले अवैध सीमकार्ड की जानकारी सामने लार्इ थी । इस विषय में सत्य जानने हेतू ये २ पत्रकार १३ मार्च को बर्मा मार्केट क्षेत्र में गए थे । इस समय जिस प्लाट में रोहिंग्या रहते हैं, वहां के रोहिंग्याआें की भीड ने पत्रकारों पर आक्रमण किया तथा उनका कॅमेरा एवं मार्इक छिन लिया ।

भाजपा के निर्मल सिंह ने की हमले की कडी निंदा

उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने इस हमले की कडी निंदा की है । उन्होंने कहा कि इस प्रकार के हमले बेहद निंदनीय हैं । समाज के हर वर्ग द्वारा निंदा की जानी चाहिए । जम्मू प्रेस क्लब के महासचिव जोरावर सिंह जम्वाल ने भी इस हमले की निंदा की है ।

Thursday, March 8, 2018

जम्मू के समाचारपत्रो में विज्ञापन, रोहिंग्या मुसलमानों को ‘टाइम बम’ बताकर निकालने की अपील


जम्मू में बांग्लादेश से आकर रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को निकालने की कवायद तेज होती दिख रही है ! वहां कुछ समूहों द्वारा लोकल न्यूज पेपर में विज्ञापन देकर रोहिंग्या मुसलमानों के विरोध में जनता में संदेश पहुंचाया जा रहा है । मुख्य रूप से चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और नेशनल पैंथर्स पार्टी जैसे संघटनोंद्वारा विज्ञापन दिया जा रहा है ! इन विज्ञापनों में रोहिंग्या मुसलमानों को ‘टाइम बम’ बताकर जम्मू के लिए खतरा बताया जा रहा है । एक विज्ञापन में लिखा है, ‘रोहिंग्या: टिक-टिक करते टाइम बम हैं । जम्मू को बचाने के लिए इन्हें बाहर निकाला जाए । इनके कारण शांति पसंद करनेवाले जम्मू वासियों को काफी परेशानी हो रही है । जम्मू को बचाने के लिए एक होना आवश्यक है !’ आपको बता दें कि पैंथर्स पार्टी ने रोहिंग्या मुसलमानों के निष्कासन के लिए प्रदर्शन भी किया था ।
रोहिंग्या को निकालने का प्रयास यूं तो काफी महीनों से किया जा रहा है, लेकिन विज्ञापन के जरिए लोगों से अपील करने की कवायद १० फरवरी को हुए आतंकी हमले के बाद से शुरू हुई है । यहां तीन आतंकियों ने सुंजवान मिलिट्री स्टेशन के अंदर एक परिवार के ऊपर हमला कर दिया था । इस हमले में ६ जवान शहीद हुए थे तो १ नागरिक की मौत हो गई थी । इस मिलिट्री स्टेशन के पास बहुत से रोहिंग्या मुसलमानों ने अपना डेरा जमा रखा है !
आतंकी हमले के बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी जम्मू का दौरा किया था । इस दौरान उन्होंने कहा था, ‘मिलिट्री स्टेशन से लगे हुए इलाके इस तरफ इशारा करते हैं कि यहां आतंकियों को लोगों से समर्थन मिल रहा है !’ वहीं हमले के करीब एक घंटे बाद भाजपा विधायक कवींद्र गुप्ता ने इस अटैक के लिए दो निश्चित देशों के घुसपैठियों को जिम्मेदार ठहराया था । पैंथर्स पार्टी के अध्यक्ष बलवंत मणिकोटिया ने कहा कि वह अपने जैसे अन्य संघटनों से भी जुडने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि सब एक साथ मिलकर इन घुसपैठियों को देश से निष्कासित करने के लिए सरकार पर दबाव बना सकें । वहीं चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि वह रोहिंग्या मुसलमानों के निष्कासन के पक्ष में तो हैं, लेकिन फिलहाल वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं । वहीं चैम्बर के सचिव गौरव गुप्ता का कहना है कि वह समुदायों के बीच ताल-मेल स्थापित करने के पक्ष में तो हैं, लेकिन रोहिंग्या मुसलमानों के बसने का विरोध करते हैं । उनके मुताबिक रोहिंग्या का यहां बसना आर्टिकल ३७० का उल्लंघन होगा । उन्होंने कहा, ‘इन घुसपैठियों का यहां बसना स्थानीय लोगों की सुरक्षा को प्रभावित करता है, क्योंकि स्थानीय पुलिस के पास उनके पिछले जीवन के बारे में कोई रिकॉर्ड नहीं है !’
स्त्रोत : जनसत्ता