Wednesday, June 6, 2018

‘हिन्दुआें की रक्षा की चुनौती का सामना कैसे करें ?’, इस उद्बोधन में मान्यवरों द्वारा रखे गए विचार !


‘७ वें अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन’ का दूसरा दिन

हिन्दुआें के उत्कर्ष के लिए मंदिरों का व्यवस्थापन हिन्दुआें के पास ही होना आवश्यक ! – जे. साईदीपक

जे. साईदीपक, कानूनी सलाहकार, इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट, उत्तर प्रदेश
मंदिरों में हिन्दुआें की एक पहचान बनाने की क्षमता है । इसीलिए विदेशी शक्तियों ने मंदिर तथा ब्राह्मणों को अपना लक्ष्य बनाया है । मंदिर जातिवाद समाप्त कर, हिन्दुआें को एकजुट बनाने का माध्यम बनना चाहिए । दुर्भाग्यवश आज जनता का विश्‍वास गंवा चुके शासनतंत्र के पास मंदिरों का व्यवस्थापन है । शासन हिन्दू धर्म को छोडकर अन्य किसी धर्म के प्रार्थनास्थलों को नहीं चलाता । मंदिरों का व्यवस्थापन योग्य न होने के कारण हिन्दुआें को मंदिरों से धर्मशिक्षा नहीं मिलती । मंदिर की संपत्ति का उपयोग हिन्दूहित के लिए नहीं किया जाता । इससे हिन्दू आर्थिक दृष्टि से निर्बल बन रहे हैं । हिन्दुआें के धर्मांतरण का यह एक बडा कारण है । मंदिरों का प्रशासन पुनः यदि हिन्दुआें के पास आ गया, तो उससे हिन्दुआें में आत्मविश्‍वास जागृत होगा तथा मंदिरों की संपत्ति का उपयोग हिन्दूहित के लिए ही किया जाएगा । इस संपत्ति का उपयोग हिन्दुआें को पारंपरिक शस्त्रविद्या, शिक्षा आदि अनेक विषय की शिक्षा देने के लिए किया जा सकता है । हमारे मठाधीश तथा संतों को, मंदिरों को स्वायत्तता प्रदान करने की मांग करनी चाहिए । मंदिर हिन्दुआें की एकता के केंद्र हैं । मंदिरों के माध्यम से हिन्दू एकजुट हो जाएं, तो किसी भी शासन को हिन्दुआें की बात सुननी ही पडेगी । इजरायल ने ६० वर्ष में अपना सम्मान पुनः प्राप्त कर लिया । सिख्खोंने भी खालसा की स्थापना के कुछ वर्ष पश्‍चात ही सफलता पाई । किसी भी समस्या के समाधान के लिए आप उस समस्या के प्रति कितना गंभीर है, यह महत्त्वपूर्ण है । अब और कितने दिनों तक हिन्दू अपनी समस्याआें को लंबित रखेंगे ? ‘आनेवाले ५ वर्षों में हम मंदिर सरकारीकरण की समस्या का समाधान ढूंढेंगे’, इस प्रकार की समयसीमा रखकर हमें आगे बढना चाहिए । गौतम बुद्धनगर, उत्तर प्रदेश के इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट के कानूनी सलाहकार अधिवक्ता जे. साईदीपक ने ‘मंदिर सरकारीकरण के विरुद्ध न्यायालयीन संघर्ष’ इस विषय पर बोलते हुए अपने विचार व्यक्त किए ।

रोहिंग्या मुसलमानों को देश में आश्रय देना खतरनाक ! – श्री. अनील धीर

श्री. अनील धीर, राष्ट्रीय सचिव, भारत रक्षा मंच, ओडिशा
उपद्रवकारी रोहिंग्या मुसलमानों का भारत में तथा वह भी जम्मू जैसे क्षेत्र में पुनर्वास करने के पीछे एक बडा षड्यंत्र है । ये रोहिंग्या मुसलमान प्रशिक्षित आतंकियों की अपेक्षा अधिक खतरनाक सिद्ध हो सकते हैं । मूलरूप से दंगाई वृत्ति के इन लोगों ने जम्मू का हवाई अड्डा, सैन्यशिविर, रेलस्थानक, महत्त्वपूर्ण पुल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के आसपास अपना अवैध डेरा बना लिया है । हैदराबाद तथा देश के अनेक स्थानों में ये रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं । संकटकाल में ये रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए संकट बन सकते हैं, इस विषय में केंद्र तथा अनेक राज्यों की गुप्तचर विभागों ने केंद्र शासन को सचेत किया है; परंतु शासन अब भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है । अमेरिका चाहे अपने देश में सबसे अधिक शरणार्थियों को आश्रय देने की बात करता हो; परंतु वास्तव में भारत में ही सर्वाधिक शरणार्थी रह रहे हैं । ऐसा होेते हुए भी भारत अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी अनुबंध पर हस्ताक्षर करे, इसके लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ भारत पर दबाव बना रहा है । बांग्लादेश, चीन, पाकिस्तान आदि देश रोहिंग्याआें को शरण नहीं दे रहे हैं; इसलिए इन लोगों का तांता भारत आ रहा है । ओडिशा के भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय सचिव श्री. अनिल धीर ने यह मत व्यक्त किया । श्री. धीर ‘रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ तथा उसका समाधान’, इस विषयपर अपने विचार रख रहे थे ।

संकटकाल में अपने धर्मबंधुआें की सहायता करना हमारा कर्तव्य ! – श्री. मनोज खाडये

श्री. मनोज खाडये, समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति, पश्‍चिम महाराष्ट्र
सप्तर्षि जीवनाडीपट्टी में की भविष्यवाणी के अनुसार आनेवाले समय में ७० से ७५ देशों में आपातकालीन घटनाएं होगी तथा उससे अराजक की स्थिति बनेगी । भारत में भी ऐसी स्थिति बन सकती है । ऐसे समय में हमें धर्मबंधु होने के नाते हिन्दुआें की सहायता करनी है । उनकी सहायता के लिए जाना, हमारा कर्तव्य होगा । आपदा किसी भी रूप में आ सकती है । कुछ स्थानों पर जलप्रलय, भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाएं आ सकती हैं अथवा युद्ध और दंगे हो सकते हैं । ऐसी आपदाआें का सामना करने के लिए हमें अभी से तैयारी आरंभ करनी है । आपदा यदि सौम्य हो, तो हम अपने स्तर पर पीडितों की सहायता कर सकते हैं; परंतु आपदा यदि तीव्र स्वरूप की होगी, तो उसके लिए हमें सरकार अथवा सेना की सहायता लेनी पडेगी । इसके पूर्व हमने उत्तराखंड, नेपाल, चेन्नई जैसे स्थानों पर आपातकालीन सहायता की है ।

हिन्दुआें में साम, दाम, दंड तथा भेद इन माध्यमों से शौर्यजागरण की आवश्यकता ! – श्री. अरविंद जैन

श्री. अरविंद जैन, प्रांतीय संस्कृति प्रमुख, भक्ति आंदोलन मंच, उत्तर प्रदेश
जिन हिन्दुआें ने विश्‍व पर राज्य किया, वो हिन्दू आज संघर्ष से बचने का प्रयास कर रहे हैं । उन्हें बचाव की नीति त्यागकर आक्रमण नीति अपनानी चाहिए । हमारे शासनकर्ता केवल हिन्दुआें की समस्याआें के विषय में ही बताते रहते हैं; परंतु हिन्दुआें को क्या करना चाहिए, यह नहीं बताते । हमें हिन्दुआें में व्याप्त शौर्य को जगाना आवश्यक है । शौर्यजागरण के लिए प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष इन दोनों मार्गों को अपनाने की आवश्यकता है । उनमें से एक है शत्रु के साथ दो हाथ करना तथा दूसरा प्रयास यह कि शत्रु को निर्बल बनाकर स्वयं बलवान बनना । शत्रु को निर्बल बनाने के लिए हिन्दुआें को निम्न संकल्प करने चाहिए ।
१. मुसलमान कलाकारों के चलचित्र नहीं देखेंगे ।
२. लव जिहाद से बचने के लिए किसी भी अराजक तत्त्व को घर में आश्रय नहीं देंगे ।
३. अपने धर्मस्थलों को छोडकर अन्य किसी धर्मस्थल पर अपना सर नहीं झुकाएंगे ।
४. प्रत्येक क्षेत्र के साधु-संत प्रवचनों द्वारा केवल ईश्‍वर की लीलाएं ही नहीं, अपितु उनके क्षात्रयुक्त विचारों का भी प्रचार करें, इसके लिए उन्हें निवेदन सौंपना ।

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