‘७ वें अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन’ का दूसरा दिन
हिन्दुआें के उत्कर्ष के लिए मंदिरों का व्यवस्थापन हिन्दुआें के पास ही होना आवश्यक ! – जे. साईदीपक
मंदिरों में हिन्दुआें की एक पहचान बनाने की क्षमता है । इसीलिए विदेशी शक्तियों ने मंदिर तथा ब्राह्मणों को अपना लक्ष्य बनाया है । मंदिर जातिवाद समाप्त कर, हिन्दुआें को एकजुट बनाने का माध्यम बनना चाहिए । दुर्भाग्यवश आज जनता का विश्वास गंवा चुके शासनतंत्र के पास मंदिरों का व्यवस्थापन है । शासन हिन्दू धर्म को छोडकर अन्य किसी धर्म के प्रार्थनास्थलों को नहीं चलाता । मंदिरों का व्यवस्थापन योग्य न होने के कारण हिन्दुआें को मंदिरों से धर्मशिक्षा नहीं मिलती । मंदिर की संपत्ति का उपयोग हिन्दूहित के लिए नहीं किया जाता । इससे हिन्दू आर्थिक दृष्टि से निर्बल बन रहे हैं । हिन्दुआें के धर्मांतरण का यह एक बडा कारण है । मंदिरों का प्रशासन पुनः यदि हिन्दुआें के पास आ गया, तो उससे हिन्दुआें में आत्मविश्वास जागृत होगा तथा मंदिरों की संपत्ति का उपयोग हिन्दूहित के लिए ही किया जाएगा । इस संपत्ति का उपयोग हिन्दुआें को पारंपरिक शस्त्रविद्या, शिक्षा आदि अनेक विषय की शिक्षा देने के लिए किया जा सकता है । हमारे मठाधीश तथा संतों को, मंदिरों को स्वायत्तता प्रदान करने की मांग करनी चाहिए । मंदिर हिन्दुआें की एकता के केंद्र हैं । मंदिरों के माध्यम से हिन्दू एकजुट हो जाएं, तो किसी भी शासन को हिन्दुआें की बात सुननी ही पडेगी । इजरायल ने ६० वर्ष में अपना सम्मान पुनः प्राप्त कर लिया । सिख्खोंने भी खालसा की स्थापना के कुछ वर्ष पश्चात ही सफलता पाई । किसी भी समस्या के समाधान के लिए आप उस समस्या के प्रति कितना गंभीर है, यह महत्त्वपूर्ण है । अब और कितने दिनों तक हिन्दू अपनी समस्याआें को लंबित रखेंगे ? ‘आनेवाले ५ वर्षों में हम मंदिर सरकारीकरण की समस्या का समाधान ढूंढेंगे’, इस प्रकार की समयसीमा रखकर हमें आगे बढना चाहिए । गौतम बुद्धनगर, उत्तर प्रदेश के इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट के कानूनी सलाहकार अधिवक्ता जे. साईदीपक ने ‘मंदिर सरकारीकरण के विरुद्ध न्यायालयीन संघर्ष’ इस विषय पर बोलते हुए अपने विचार व्यक्त किए ।
रोहिंग्या मुसलमानों को देश में आश्रय देना खतरनाक ! – श्री. अनील धीर
उपद्रवकारी रोहिंग्या मुसलमानों का भारत में तथा वह भी जम्मू जैसे क्षेत्र में पुनर्वास करने के पीछे एक बडा षड्यंत्र है । ये रोहिंग्या मुसलमान प्रशिक्षित आतंकियों की अपेक्षा अधिक खतरनाक सिद्ध हो सकते हैं । मूलरूप से दंगाई वृत्ति के इन लोगों ने जम्मू का हवाई अड्डा, सैन्यशिविर, रेलस्थानक, महत्त्वपूर्ण पुल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के आसपास अपना अवैध डेरा बना लिया है । हैदराबाद तथा देश के अनेक स्थानों में ये रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं । संकटकाल में ये रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए संकट बन सकते हैं, इस विषय में केंद्र तथा अनेक राज्यों की गुप्तचर विभागों ने केंद्र शासन को सचेत किया है; परंतु शासन अब भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है । अमेरिका चाहे अपने देश में सबसे अधिक शरणार्थियों को आश्रय देने की बात करता हो; परंतु वास्तव में भारत में ही सर्वाधिक शरणार्थी रह रहे हैं । ऐसा होेते हुए भी भारत अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी अनुबंध पर हस्ताक्षर करे, इसके लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ भारत पर दबाव बना रहा है । बांग्लादेश, चीन, पाकिस्तान आदि देश रोहिंग्याआें को शरण नहीं दे रहे हैं; इसलिए इन लोगों का तांता भारत आ रहा है । ओडिशा के भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय सचिव श्री. अनिल धीर ने यह मत व्यक्त किया । श्री. धीर ‘रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ तथा उसका समाधान’, इस विषयपर अपने विचार रख रहे थे ।
संकटकाल में अपने धर्मबंधुआें की सहायता करना हमारा कर्तव्य ! – श्री. मनोज खाडये
सप्तर्षि जीवनाडीपट्टी में की भविष्यवाणी के अनुसार आनेवाले समय में ७० से ७५ देशों में आपातकालीन घटनाएं होगी तथा उससे अराजक की स्थिति बनेगी । भारत में भी ऐसी स्थिति बन सकती है । ऐसे समय में हमें धर्मबंधु होने के नाते हिन्दुआें की सहायता करनी है । उनकी सहायता के लिए जाना, हमारा कर्तव्य होगा । आपदा किसी भी रूप में आ सकती है । कुछ स्थानों पर जलप्रलय, भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाएं आ सकती हैं अथवा युद्ध और दंगे हो सकते हैं । ऐसी आपदाआें का सामना करने के लिए हमें अभी से तैयारी आरंभ करनी है । आपदा यदि सौम्य हो, तो हम अपने स्तर पर पीडितों की सहायता कर सकते हैं; परंतु आपदा यदि तीव्र स्वरूप की होगी, तो उसके लिए हमें सरकार अथवा सेना की सहायता लेनी पडेगी । इसके पूर्व हमने उत्तराखंड, नेपाल, चेन्नई जैसे स्थानों पर आपातकालीन सहायता की है ।
हिन्दुआें में साम, दाम, दंड तथा भेद इन माध्यमों से शौर्यजागरण की आवश्यकता ! – श्री. अरविंद जैन
जिन हिन्दुआें ने विश्व पर राज्य किया, वो हिन्दू आज संघर्ष से बचने का प्रयास कर रहे हैं । उन्हें बचाव की नीति त्यागकर आक्रमण नीति अपनानी चाहिए । हमारे शासनकर्ता केवल हिन्दुआें की समस्याआें के विषय में ही बताते रहते हैं; परंतु हिन्दुआें को क्या करना चाहिए, यह नहीं बताते । हमें हिन्दुआें में व्याप्त शौर्य को जगाना आवश्यक है । शौर्यजागरण के लिए प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष इन दोनों मार्गों को अपनाने की आवश्यकता है । उनमें से एक है शत्रु के साथ दो हाथ करना तथा दूसरा प्रयास यह कि शत्रु को निर्बल बनाकर स्वयं बलवान बनना । शत्रु को निर्बल बनाने के लिए हिन्दुआें को निम्न संकल्प करने चाहिए ।
१. मुसलमान कलाकारों के चलचित्र नहीं देखेंगे ।
२. लव जिहाद से बचने के लिए किसी भी अराजक तत्त्व को घर में आश्रय नहीं देंगे ।
३. अपने धर्मस्थलों को छोडकर अन्य किसी धर्मस्थल पर अपना सर नहीं झुकाएंगे ।
४. प्रत्येक क्षेत्र के साधु-संत प्रवचनों द्वारा केवल ईश्वर की लीलाएं ही नहीं, अपितु उनके क्षात्रयुक्त विचारों का भी प्रचार करें, इसके लिए उन्हें निवेदन सौंपना ।
No comments:
Post a Comment