शिमला : रोहिंग्याओं को भारत सरकार शरणार्थी न मानते हुए देश से बाहर भेजना चाहती है । वहीं, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में इन्हें काम पर रखा जा रहा है । रोहिंग्या शिमला में पहुंच गए, परंतु पुलिस प्रशासन इस बात से बेखबर है । मामला उजागर करने पर जांच की बात हो रही है, परंतु सवाल यह है कि, जिन रोहिंग्याआें को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा माना जा रहा है, वे शिमला तक कैसे पहुंच गए ?
नगर निगम शिमला ने पांच वार्डो टुटू, मछयाठ, बालूगंज, कच्चीघाटी व टूटीकंडी में सफाई व्यवस्था को आउटसोर्स किया है । इसके तहत एनके कंस्ट्रक्शन कंपनी को ठेका दिया गया है । यह कंपनी जम्मू से रोहिंग्याओं को कूडा एकत्रीकरण के लिए शिमला लेकर आई है । इस कंपनी ने ४० कर्मचारी नियुक्त किए हैं । इनमें रोहिंग्याओं के अलावा प्रदेश के अन्य क्षेत्रों और उत्तर प्रदेश व बिहार से लोगों को कूडा एकत्रित करने के लिए रखा गया है । ये लोग शिमला में घर-घर जाकर कूडा उठाएंगे ।
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इससे पहले कि, शिमला में सफाई कार्य शुरू हो, शहर में पहुंचे १२ रोहिंग्याओं ने रहने के लिए अस्थायी ठिकाना तलाश लिया है । अब ये लोग परिवार को लेने जम्मू गए हैं । शिमला में काफी संख्या में बांग्लादेशी भी रह रहे हैं । ये लोग निर्माणाधीन भवनों में लकडी का काम करते हैं । टाइल्स के काम में भी ये माहिर हैं ।
शिमला के उपनगर टुटू में एक रोहिंग्या ने लोगों को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) का पहचान पत्र दिखाया । लोगों ने रोहिंग्या से बात करने का प्रयास किया तो उसे हिंदी समझ नहीं आ रही थी ।
शिमला के पुलिस अधीक्षक ओमापति जम्वाल का कहना है कि, पहचान पंजीकरण के बिना कोई भी शहर में नहीं रह सकता है । रोहिंग्या के आने के मामले में जांच की जाएगी ।
स्त्रोत : जागरण
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